पता नहीं कितना व्यस्त हो गए हैं हम कि स्वयं के बारे में सोचने की भी फुर्सत नहीं है. जिस किसी से भी पूछो तो बस एक ही जवाब मिलता है कि अपना क्या है, बच्चे ठीक निकल जाएँ, अब तो जो कुछ भी है बच्चों का ही है. जीवन का कोई उद्देश्य ही नहीं है जैसे. ठीक है बच्चे हमारी जिम्मेदारी हैं परन्तु कुछ जिम्मेदारी हमारी स्वयं के प्रति भी तो होनी चाहिए. जब तक हम खुद ठीक नहीं होने तब तक चाहे बच्चे हों या फिर परिवार के अन्य सदस्य और या फिर कोई और, आखिर कैसे हम अपनी बाकी जिम्मेदारियों को पूरी कर पाएंगे.
मस्त रहने के लिए व्यस्त रहने का सूत्र सबसे कारगर है पर ध्यान यह भी रखना होगा कि आखिर हम कहाँ व्यस्त हैं. जब किसी अपनी किसी मित्र से मिलती हूँ सबके बातों का सार एक हि होता है भले ही वह गृहिणी हो या फिर नौकरीपेशा, कि अपने लिए फुर्सत ही नहीं है. इतनी मुश्किल से मनुष्य जीवन मिला, कुछ करने का मौका मिला फिर और उसे गंवाने पर उतारू हैं लोग. मानती हूँ कि हर किसी के पास मौका नहीं होता महान काम करने का लेकिन अपने छोटे-छोटे रोजमर्रा के कामों को तो हम महान तरीके से कर ही सकते हैं, अपने आपको खुश रख सकते हैं, स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं.
अपने आपको स्वस्थ रखने के ऊपर एक रिपोर्ट का जिक्र करना चाहूंगी जिसके मुताबिक वर्ष 2015 तक हमारे देश में लगभग छः करोड़ लोग ह्रदय रोग से और चार करोड़ लोग मधुमेह जैसे रोगों से पीड़ित होंगे। इस रिपोर्ट में भारत वर्ष में प्रति वर्ष एक लाख में अलग-अलग बिमारियों से मरने वालों की संख्या भी दर्शाई गयी है जिसके अनुसार एक लाख लोगों में करीब ढाई हजार लोग तो ह्रदय रोग से मर जाते हैं तो सांस संबंधी रोगों से एक हजार दो सौ पचास लोगों की मृत्यु हो जाती है. कैंसर, डायरिया, साँसों में संक्रमण, पाचन तंत्र से संबंधी रोगों और तपेदिक जैसी बिमारियों से लगभग 683, 586, 482, 466 और 269 लोगों कि मृत्यु हो जाती है. यही नहीं मधुमेह जैसी बिमारियों से मरने वालों की संख्या लगभग 227 है प्रति लाख प्रति वर्ष है.
इस रिपोर्ट से किसी को डरने की जरुरत नहीं है परन्तु इसे अपने लिए भी एक चेतावनी के रूप में अवश्य देखें, खास तौर पर वे लोग जो यह कहते फिरते हैं कि अपना क्या? जब स्वयं ही स्वस्थ नहीं होंगे तो अपना क्या कहने से काम नहीं चलने वाला क्योंकि जिनके लिए दिन-रात व्यस्त हैं आप, बीमार पड़कर उनका ख्याल करने की बजाय उनके समय और पैसे की बर्बादी ज्यादा ही करेंगे.
एक रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी जारी किया है जिसके अनुसार विश्व में लगभग 38 मिलियन लोग 70 वर्ष की उम्र से पहले ही ऐसी बिमारियों के कारण मरते हैं जिनका यदि इलाज कराया जाता तो उनका बचना संभव था. अब ऐसा नहीं है कि ये लोग पैसे की तंगी के कारण अपना इलाज नहीं करा पाए और इसलिए मरने की नौबत आ गयी बल्कि कारण वही है कि उनकी सोच भी ऊपर लिखे के अनुसार थी कि अपना क्या? रिपोर्ट से तो यही लगता है कि कि अपनी व्यस्तताओं के बीच बिमारियों को नजर अंदाज करने की हमारी आदत सी पड़ गयी है, हो सकता है इस आदत का हमें आभास नहीं हो परन्तु है यह अजीब सा एक सत्य.
बीमार व्यक्ति अपनी बीमारी से दवा बनाने वाली कंपनी, अपने चिकित्सक और पैथोलॉजी वालों की तो चांदी कटवाता है पर अपने समय, धन और सेहत का नुक्सान कर बैठता है. काश वह यह समझ सके कि स्वयं को स्वस्थ रखना या फिर स्वस्थ जीवन जीना भी एक आदत होती है. सुखद और स्वस्थ जीवन जीने की यह आदत और उसे अपने परिवार के सदस्यों में परंपरा के तौर पर डाल देना दोनों ही आसान से काम हैं बस आवश्यकता है तो थोड़ा सा अपने प्रति जागरूक होने की.
इन सबके उपाय तो कई हैं पर चौराहे पर खड़ा व्यक्ति हमेशा दुविधा में रहता है, अतः इधर-उधर नहीं भटकते हुए सबसे सरलतम उपाय जिसमें ना कहीं जाकर समय खर्च करना होगा और ना कहीं जाकर मेहनत से कमाया पैसा खर्च करना होगा वो है नियमित योग, आसान और प्राणायाम का अभ्यास. अपने आपको रोजाना बस एक घंटे का समय देना पर्याप्त है और यह हर लिहाज से स्वस्थ रहने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है. यदि हम अपने समय का प्रबंधन ठीक तरह से कर लें तो चौबीस घंटों में से अपने लिए एक घंटा निकाल पाना आसान हो जाएगा.
कुछ लोगों को लगता है कि खुशहाल जीवन के लिए पैसा सबसे ज्यादा जरुरी है, काफी हद तक यह बात ठीक भी है परन्तु यदि स्वास्थ्य ही नहीं रहेगा, जीवन ही नहीं रहेगा तो फिर पैसा क्या करेंगे. इसलिए धन कमाने के साथ ही साथ हमें जीवन में कुछ और भी कमाना सीखना चाहिए. निन्यानबे के फेर में हम मान-सम्मान, अपनों का प्यार, मन की शांति और बेहतर स्वास्थ्य कमाना भूल गए हैं. इसलिए यदि जीवन के इस अनमोल उपहार का असली आनंद उठाना है तो हमें आज से ही अपनी आदतों में स्वस्थ रहने की आदत को जगह देनी होगी. स्वयं स्वस्थ रहकर हम विरासत में भी स्वास्थ्य छोड़ेंगे और जब विरासत में हमारे बच्चों को स्वास्थ्य मिलेगा तो हमारे नौनिहाल स्वस्थ होंगे और जब नौनिहाल स्वस्थ होंगे तो हमारा देश भी स्वस्थ होगा. इसीलिए खाते हैं – करें योग रहें निरोग, स्वस्थ भारत समृद्ध भारत.
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